वो आत्महत्या नहीं थी लेखनी कहानी -03-Jan-2024
वो आत्महत्या नहीं थी
" मी लार्ड वो आत्महत्या नहीं थी। क्यौकि मेरी बेटी कभी भी आत्महत्या करना तो बहुत दूर है वह ऐसा सोच भी नहीं सकती थी। इन सभी ने उसको मिलकर मार डाला ? इन सब को फांसी की सजा होनी चाहिए। " बूढ़े पिता ने रोते हुए कोर्ट में जज साहब से गुहार लगाई।
" नहीं मी लार्ड यह बूढ़ा झूठ बोल रहा है ।स्वयं पुलिस ने दरवाजा तोड़कर सिया को बाहर निकाला है इस बूढ़े के पास क्या सबूत है?"' बचाव पक्ष के वकील ने तर्क देते हुए कहा।
"हाँ मेरे पास सबूत है जज साहब! वह भी पक्का सबूत है यह लो सबूत?" इतना कहकर एक अन्जान ने एक मोबाइल जज साहब की तरफ बढ़ा दिया।
जज साहब ने पूछा," तुम कौन हो? और इस केस से तुम्हारा क्या सम्बन्ध है? जो कहना है विटिनेस बाक्स में आकर कहो । "
तब वह अन्जान युवक बिटिनेस बाक्स में आकर बोला " जज साहब मेरा नाम राम है ,मैं सिया के कालेज का दोस्त हूँ मुझे सिया ने एक दिन अपनी ससुराल की समस्या फोन पर बताई थी वह पूरी बात बता नही पाई कि फोन बीच में कट गया। उसके बाद मैं दो दिन तक फोन लगाता रहा लेकिन सिया का फोन लगता ही नहीं था। शायद मेरा नम्बर सिया के पति ने ब्लाक कर दिया था। मैने चालाकी से दूसरे नम्बर से ट्राई किया तब मेरा फोन लग गया। मेरा फोन शायद सिया के पति ने अटेंड किया था। तब सिया की चीखने चिल्लाने की आवाजें आरही थी। सिया के पति ने मुझसे हेल्लो के अलावा और बात नहीं की और न मेरी काॅल डिस्कनेक्ट की मैने वह सब रिकार्ड कर लिया। मैने सुना था कि सिया जलती हुई भागकर कमरे में बन्द होगई थी। इसे उसका पति बहुत खुश होगया और बोला ," यह तो अच्छा हुआ कि वह स्वयं ही कमरे में बन्द होगई । अब हम कहेगे कि उसने आत्महत्या की है ।" इस घटना से मैं बहुत डर गया था। बाद में जब मुझे मालूम हुआ कि सिया की उसी दिन जलकर मौत होगई थी और सिया के पापा ने ससुराल वालौ पर सिया की हत्या का केस कर दिया है जिसका आज निर्णय होना है। मेरी आत्मा ने मुझसे कहा कि राम सिया को न्याय दिलवाकर उसके हत्यारे को सजा दिलवाओ।" इतना कहकर राम ने रिकार्डिंग वाला मोबाइल जज साहब को देदिया।
जब जज सक्सैना ने उस मोबाइल में उस ओडियो को सुना तब जज साहब की आँखौ में क्रोध की ज्वाला भड़क उठी।
हरीशंकर एक सरकारी स्कूल में अध्यापक थे । उनकी पत्नी का कैन्सर की बीमारी से स्वर्गवास होगया था । हरिशंकर के एक बेटी थी सिया। सिया को उन्होंने बहुत प्यार से पाला था ।
जब सिया कालेज में पढा़ई कर रही थी तभी उसकी मुलाकात राम से हुई। कालेज में वार्षिक उत्सव पर उन दोंनौ ने एक नाटक में राम सीता का किरदार किया। तब से सिया व राम एक दूसरे को प्यार करने लगे। कालेज में राम सिया की जोड़ी सभी को अच्छी लगती थी।
राम व सिया शादी के बन्धन में बंधना चाहते थे ।लेकिन उन दोनौ ने यह बात अपने परिवार जनौ के साथ शेयर नहीं की।
शायद किस्मत को भी कुछ और ही मंजूर था। हरिशंकर रिटायर हो गये थे ।इसलिए रिटायर होने के बाद जो रकम मिली थी उससे वह सिया के हाथ पीले करके उसे ससुराल भेजकर अपना फर्ज पूरा करना चाहते थे।
हरिशंकर ने सिया को बिना बताए शादी-ब्याह के लिए लड़का देखना आरम्भ कर दिया ।और एक लड़का पसंद करके तय कर लिया। जब उन्होंने सिया को बताया तब सिया अपने पापा अपने प्यार के विषय में बताना चाहती थी लेकिन वह यह यह सोचकर चुप होगई कि पापा को दुःख होगा ।इसलिए सिया ने शादी के लिए अपनी स्वीकृत देदी।इसके बाद राम से मिलना बन्द कर दिया।
सिया की इस बात पर राम बहुत नाराज हुआ लेकिन सिया ने राम को साफ साफ कह दिया ," राम अब मेरी शादी किसी और के साथ होरही है इसलिए तुम्हें मुझसे मिलने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। तुम्हारा यह मिलना मेरी जिन्दगी में भूकम्प लादेगा।"
इस तरह सिया की शादी होगई और वह अपनी ससुराल पहुँच गई। हरीशंकर ने अपना फर्ज पूरा कर दिया।
लेकिन सिया के ससुराल वालौ ने दहेज के नाम पर सिया को परेशान करना आरम्भ कर दिया। सिया यह सोचकर सब सहन करती रही कि कुछ समय में सब ठीक होजायेगा। सिया ने इस परेशानी के विषय में कभी भी अपने पापा को भी अवगत नहीं कराया । जब सिया के साथ बहुत अधिक मारपीट होने लगी और दहेज की मांग बढ़ने लगी तब सिया ने फौन पर पापा को बताया।
हरीशंकर ने कुछ लोगों के साथ सिया के ससुराल जाकर बात की तब कुछ दिन ठीक चला परन्तु पुनः वही होने लगा।
एक दिन सिया ने यह सब बातें राम के साथ शेयर की। जब वह राम के साथ बात कर रही थी तभी सिया की सास ने उसकी कुछ बाते सुनकर अपने बेटे को बताई। फिर उसने सिया को बहुत प्रताड़ित किया और उसे जलाकर मारने का प्लान बना लिया उसका मोबाइल छीन लिया गया।
जब सिया को मारा पीटा जारहा था तब राम ने एक दूसरे नम्बर से फोन किया। राम की काॅल को सिया के पति ने अटेंड किया। उसने बात करके फोन रख दिया और वह काटना भूलगया जिसे राम ने रिकार्ड कर लिया। उसी समय सिया पर तेल छिड़ककर आग लगाने की व सिया के अपने बचाव के लिए चीखकर चिल्लाकर सहायता के लिए पुकारने तक की सब बातें रिकार्ड होगई।
आज वही रिकार्डिंग जज साहब ने सुनी जिसे सुनकर जज साहब ने सिया के पति आकाश व उसके सास ससुर को उम्र कैद की सजा सुनाई।
आज हरीशंकर को मालूम हुआ कि सिया राम से प्यार करती थी। आज राम ने ही सिया के हत्यारे को सजा दिलवाने में मदद की। उन्होंने राम का धन्यवाद किया ।आज हरीशंकर के दिल को शान्ति मिली।
आज की दैनिक प्रतियोगिता हेतु
नरेश शर्मा " पचौरी "
Mohammed urooj khan
18-Jan-2024 01:20 PM
👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾
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Gunjan Kamal
08-Jan-2024 09:22 PM
👏👌
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Madhumita
07-Jan-2024 06:40 PM
Nice
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